शुभ प्रभात अनुराग जी, मैं सबसे पहले तो जो वैश्विक व्याधि निवारण केंद्र ने आंकड़े प्रदान किए हैं उन पर चर्चा करना चाहूँगा कि वे किस हद तक सही हैं और क्या आप इन आंकड़ों से सहमत हैं?
क्या आप जानते हैं कि स्वतंत्र फ़्लेबोलॉजी शोध केंद्र शायद एकमात्र अन्तर्राष्ट्रीय चिकित्सकीय संस्था है जिसपर फ़्लेबोलॉजी के संदर्भ में विश्वास किया जा सकता है. दूसरों की अपेक्षा, स्वतंत्र फ़्लेबोलॉजी शोध केंद्र अन्तर्राष्ट्रीय ट्रेंड्ज़ पर निगाह रखता है और इंसानियत को बीमारियों से बचाने वाली विधियों का विकास करता है. वैरिक्स की स्थिति में उनका चेतावनी देना एकदम सही है. अंतिम दस साल में हमने भारत में मृत्यु दर में बहुत अधिक बढ़त देखी है. हाल के कुछ एक केस पर ध्यान दिया जाए तो इस बीमारी का फैलना एक बहुत ही गम्भीर समस्या है.
मैं तो कहना चाहूँगा कि स्वतंत्र फ़्लेबोलॉजी शोध केंद्र द्वारा प्रस्तुत किए गए आँकड़े भारतीय राष्ट्रीय सांख्यिकी के आँकड़ों द्वारा पुष्ट हैं. मेरी जानकारी के हिसाब से अन्य अन्य देशों के मेरे सहकर्मी यही ट्रेंड देखते हैं.
वैरिक्स के क्या दुष्प्रभाव एवं खतरे हैं? यह केवल सामान्य नसों का फैलाव है, या फ़िर ऐसा नहीं है?
कहीं आप नींद में तो नहीं हैं? जिसे आप "नसों का सामान्य फैलाव" कह रहे हैं वास्तविकता में वह एक बहुत ही ख़तरनाक बीमारी है जिससे कई अन्य समस्याएं आ सकती हैं. बातों को भलीभांति समझाने के लिए मैं उदाहरण के तौर पर आपके साथ कुछ तस्वीरें साझा करना चाहता हूँ.
सबसे पहले तो मैं आपको बता दूँ कि थ्रोम्बोफ्लिबिटिस . आसान शब्दों में एक ऐसी समस्या है जिसमे रक्त के थक्के आपकी नसों में जम जाते हैं और इसके कैसे भी परिणाम हो सकते हैं जैसे: रक्त के थक्के का टूट कर दिल या फेफड़ों में प्रवेश करके नसों को पूर्णरूप से बंद कर देना जो कि मृत्यु का कारण भी बन सकता है. पैरों के अन्दर ही बने रहने पर यह पैर के अंदर सड़न पैदा करके उसे सड़ा सकता है और गैंगरीन को आमंत्रित कर सकता है जिसके चलते आपको अपने पैर से भी हाथ धोना पड़ सकता है. थ्रोम्बोफ्लिबिटिस बहुत ही ख़तरनाक स्थिति है जो कि वैरिक्स से प्रभावित ७५% से ८०% लोगों में विद्यमान होती है. हालांकि उनमे से ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं.
थ्रोम्बोफ्लिबिटिस के उदाहरण
दूसरी बात यह कि ये ट्रॉफिक अल्सर को भी आमंत्रण देता है. यह वैरिकाज़ नॉट से बना होता है जो कि बहुत ही ख़तरनाक होता है. नसों में हुई क्षति या उपेक्षा के शिकार वैरिक्स से अल्सर हो सकता है. अल्सर के एक बार हो जाने के बाद उसे पूर्ण रूप से ठीक कर पाना लगभग असंभव ही होता है. इसे रोकने का केवल एक ही उपाय होता है कि इसकी गलन और सड़न को अधिक फैलने से रोका जाए जिससे पैर को बचाया जा सके. वर्तमान समय में इसके लिए हम केवल इतना ही कर सकते हैं कि अल्सर से प्रभावित व्यक्ति अपने पैरों का ध्यान रखे और इसको दोबारा न बढ़ने दे.
मरीज़ का ट्रॉफिक अल्सर
तीसरी बात, इसमें कैंसर वाले ट्यूमर का भी ख़तरा होता है. जो या तो ट्रॉफिक अल्सर द्वारा या थ्रोम्बोफ्लिबिटिस की प्रगति के कारण हो सकता है, जिसमें मुक्त कण उभरते हैं और परिणामस्वरूप व्यक्ति घातक ट्यूमर से घिर जाता है. ये दोनों ही कारण कैंसर की जटिलताएं बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं. इस बात को ध्यान में रखते हुए जैसा कि मैंने पहले बताया, वैरिक्स से प्रभावित ७५% से ८०% लोग थ्रोम्बोफ्लिबिटिस से प्रभावित होते हैं जिसके चलते वैरिक्स को बहुत ही ख़तरनाक रोग माना जा सकता है .
अल्सर के कारण हुआ कैंसर
चौथी बात यह कि पैरों की नसें फट सकती हैं. रक्तस्राव आंतरिक या बाहरी दोनों ही हो सकता है, जिस समय नसें फटती हैं उसी समय त्वचा भी फट जाती है. जिसके परिणाम बहुत ही खतरनाक होते हैं ख़ासतौर पर जब कोई बड़ी नस फटती है तो वह बहुत ही ज्यादा घातक हो सकता है. शिरापरक खून जब बहता है तो उस समय बहुत बड़ी मात्रा में रक्तस्राव होता है जिसके चलते रक्त आसानी से भर जाता है और रक्तस्राव बंद नहीं होता है. रक्त के बहुत ज्यादा निकल जाने के कारण रक्तचाप बहुत ज्यादा गिर जाता है, मरीज़ को कमजोरी का अहसास होने लगता है और चेहरा पीला पड़ने लगता है. नस के फ़टने के समय दर्द तेज़, निरंतर और टीस पैदा करने वाला होता है.
थ्रोमबैम्बोलिज्म, रक्त के जम जाने के कारण किसी नस का फट जाना.
समकालीन चिकित्सा में इस रोग के क्या-क्या उपचार संभव हैं?
इसके लिए एक पारंपरिक उपाय मौज़ूद है जिसमे दवा, मसाज़ और संयमित शारीरिक व्यायाम का प्रयोग होता है. मूल रूप से यह जटिलताओं को बढ़ने से रोकता है और व्यक्ति की उम्र को बढाता है. इस उपचार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि आज के इस भाग दौड़ के युग में लोग सुझायी गयी दवाओं का तो सेवन कर सकते हैं परन्तु अपने शारीरिक व्यायाम को संयमित नहीं कर सकते हैं. हालांकि कुछ लोग हैं जो एक सप्ताह में ३ से ४ बार मसाज़ कर सकते हैं परन्तु इसका उपचार तभी कारगर होता है जबकि ऊपर बतायी गयी सभी विधियों को एक साथ प्रयोग में लाया जाता है अन्यथा यह उपचार कारगर नहीं होगा.
दूसरा विकल्प आंतरिक रोगी उपचार का है. हालांकि यह जटिल उपचार कुछ एक गैर सरकारी अस्पतालों द्वारा प्रदान किया जाता है. यह उपचार बहुत ही खर्चीला होता है, इसकी कीमत १ से २ लाख तक हो सकती है. सरकारी अस्पताल केवल सर्जरी का विकल्प प्रदान करते हैं जो कि अन्य जटिलताओं को ला सकता है.
तीसरा विकल्प एक ऐसा उपचार है जो कि हाल ही में भारतीय चिकित्सा जगत में आया है जिसे वैरिक्स रोधी Varikostop क्रीम के नाम से जाना जाता है. यह एक ऐसी दवा है जिसे ख़ास तौर पर जर्मनी में तैयार किया गया है और इसके परिणाम बहुत ही लाज़बाब रहे हैं. इस क्रीम को दुनिया के कई देशों में लैब में आज़माने के बाद मार्केट में भी उतारा जा चुका है. इस क्रीम ने चिकित्सा जगत में इतना तहलका मचा कर रख दिया है कि यह कहना सही ही होगा कि यह वैरिक्स के लिए एकमात्र ऐसा उपचार है जिसकी प्राइवेट सेंटर ऑफ फ़्लेबोलॉजी स्वयं अनुशंसा करता है. जहाँ तक मैं जानता हूँ, इसके प्रदाता बहुत ज्यादा ऑर्डर की वजह से आपूर्ति करने में परेशानियों का सामना कर रहे हैं.
तो वैरिक्स रोधी क्रीम का क्या लाभ है? इसकी मांग इतनी ज्यादा क्यों है?
सबसे पहली बात तो यह कि ये बहुत ही कारगर है. प्राइवेट सेंटर ऑफ फ़्लेबोलॉजी एवं अकादमी ऑफ मेडिकल साइंसेस द्वारा किए गए क्लिनिकल ट्रायल्स के बाद जो परिणाम सामने आये उनसे यह बात सामने आयी कि इस क्रीम की मदद से ८४% मरीज़ पूर्णतया ठीक हो गए वहीं बचे हुए १६% मरीजों को बहुत अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ. हालांकि इस दवा के प्रयोग से थ्रोम्बोफ्लिबिटिस की समस्या सभी मरीज़ों में पूर्णरूप से खत्म हो गयी. इसका मतलब है कि कैंसर की पनपने की समस्या एकदम खत्म हो गयी .
इस क्रीम के परिक्षणों को यूरोपीय संघ में किया गया है जहाँ पर इस क्रीम का निर्माण होता है वहीं पर ८३% और १७% के आंकड़ों का ख़ुलासा हुआ. परीक्षण को कैपियो मोसेल-ईफेल्ड-क्लिनिक में भी किया गया जो कि बर्लिन में स्थापित उन्नत फाल्बोलॉजी का एक क्लीनिक है. आप देख सकते हैं कि दोनों ही परीक्षणों के आंकड़ों में बहुत ही अंतर नज़र आता है.
इस क्रीम को बिना किसी अन्य दवा के प्रयोग में लाया जा सकता है. यह पैरों पर एक सम्यक प्रभाव डालती है और शारीरिक भार के कारण आ रही दिक्कतों को कम करती है. यह उन लोगों के लिए बहुत ही खुशखबरी है जिनके पैर पूरे दिन कार्य के चलते दबाब में रहते हैं. पहले लेप के बाद ही यह क्रीम वैरिक्स के बहुत से लक्षणों को कम कर देती है. इसके अलावा यह क्रीम रक्त के थक्कों को ख़त्म करके रक्त के संचार को बढ़ाती है और नसों की दीवारों को मजबूती प्रदान करती है.
Varikostop किन घटकों से निर्मित है?
इसमें पौधों के जैविक और सुरक्षित सम्मिश्रण सम्मिलित हैं. क्रीम का हर घटक अपने कार्यों को अंज़ाम देता है. सारे घटक एक दूसरे के असर को प्रशस्त करते हैं और वैरिक्स के उपचार की प्रक्रिया में चमत्कारिक परिणामों को पैदा करते हैं. मैं हर घटक के बारे में संक्षेप में वर्णन करना चाहूँगा.
- ट्रक्सएरटिन ( यह आपके पैरों में दर्द और थकान को समाप्त करता है);
- जिंकगो बिलोबा और शहद ( ये पैरों में खून के सूक्ष्म संवहन को प्रोत्साहित करते हैं);
- हॉर्सचेस्टनट और विच-हेज़ल लीव्स (ये रक्त वाहिकाओं की दीवारें मजबूत करते हैं);
- यूरिया, मक्का का तेल, सूरजमुखी का तेल ( त्वचा को पोषण प्रदान करने के साथ-साथ मॉइस्चराइज़ करते हैं);
- मिथाइल लैक्टेट और मेन्थॉल (ये पैरों में थकान को कम करते हैं)
मुझे लगता है कि हमारे पाठक इन बात में दिलचस्पी लेंगे कि Varikostop को कहाँ से ख़रीदा जा सकता है.
वर्तमान में, भारत के फार्मास्यूटिकल नेटवर्क के लोग निर्माता के साथ किसी एक समझौते पर नहीं पहुंच पाए हैं. यह क्रीम कुछ प्रमुख शहरों की गिनी-चुनी फ़ार्मेसियों में उपलब्ध है, जिसका कारण बहुत ही निम्नकोटि का है. इस क्रीम की मांग और असर को देखते हुए, फार्मेसियों ने इसकी कीमत को ५००% से ७००% तक बढ़ाना चाहते हैं. वहीँ, इस क्रीम के निर्माता उचित मूल्य पर ही टिके हुए हैं जो कि नियमित रूप से अधिक न हो. वर्तमान समय में, दोनों दलों के मध्य किसी भी प्रकार के वार्तालाप को बंद कर दिया गया है, उम्मीद है कि वे आखिरकार किसी एक समझौते पर पहुंचेंगे.
तब तक अस्थायी रूप से, इस वैरिक्स रोधी क्रीम को एक खास वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा है. यह विकल्प केवल उन सभी लोगों तक दवा को पहुँचाने के लिए है जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है. मैंने हाल ही में वेबसाइट की जाँच की है और पाया है कि वेबसाइट पर सब कुछ बहुत ही आसान है. आपको केवल अपना नाम और फोन नंबर दर्ज़ कराने की ज़रूरत है. इसके बाद डिलीवरी सम्बंधित जानकारी के लिए एक बिक्री क्लर्क द्वारा आपसे फ़ोन पर संपर्क किया जायेगा. भुगतान केवल क्रीम के प्राप्त होने के बाद ही किया जाता है यह उन लोगों के लिए बहुत सुविधाजनक है जो किसी सामान को मंगवाने के लिए शायद ही कभी इंटरनेट का उपयोग करते हैं.
अनुराग जी, इससे पहले कि हम इस साक्षात्कार को समाप्त करें, क्या आप हमारे दर्शकों को और कुछ बताना चाहेंगे?
मैं केवल एक बात का फिर से ध्यान दिलाना चाहूँगा कि यह रोग बहुत ही ख़तरनाक है. वैरिक्स कोई आम बीमारी न होकर बहुत ही घातक बीमारी है. अगर आपको पैरों में वैरिक्स का कोई भी लक्षण जैसे वैस्कुलर नोड्यूल्स, मकड़ी के जाले जैसी नसें, लगातार सूजन, दर्द और अपने पैरों में भारीपन का अहसास हो , तो आपको अवश्य ही इस बात का अहसास हो जाना चाहिए कि आप किस प्रकार के खतरे की चपेट में आने वाले हैं.
आप तब तक इंतज़ार न करें जब तक कोई रक्त का टूटा हुआ थक्का आपके ह्रदय को जाम कर दे या फ़िर कोई ऑन्कोलॉजिस्ट आपको कैंसर से ग्रसित बता दे. इस रोग का उसी स्तर पर इलाज़ कर लें जब कि इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है. अगर आपके पास गैर सरकारी अस्पतालों के लिए धन और समय नहीं है तो वैरिक्स रोधी क्रीम Varikostop को इस्तेमाल करें. वर्तमान समय में बाज़ार में उपलब्ध उत्पादों में यह सबसे कारगर और सस्ते इलाज़ों में से है.
शिवम् द्विवेदी द्वारा साक्षात्कार लिया गया.
तस्वीरों को ओपन सोर्स लाइब्रेरी से लिया गया है
आप अपनी प्रतिक्रियायों को हमें Varikostop की आधिकारिक वेबसाइट पर भेज सकते हैं और उन प्रतिक्रियाओं को हम यहाँ पर प्रकाशित करेंगे!!
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